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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अजगर संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. बकरी निगलने वाला साँप । बहुत मोटी जाति का एक सर्प । उ॰—(क) बैठि रहेसि अजगर इव पापी ।—मानस, ७ । १०७ । (ख) बिना आशा बिन उद्यम कीने अजगर उदर भरै ।—सूर॰, १ । १०५ । अजगर करै न चाकरी पंछी करै न काम । दास मलूका कहि गए सब के दाता राम ।—मलूक (शब्द॰) । विशेष—यह अपने शरीर के भारीपन के कारण फुर्ती से इधर उधर डाल नहीं सकता और बकरी, हिरन ऐसे बड़े पशुओं को निगल जाता है । और सर्पों के समान इसके दाँतों में विष नहीं होता । यह जंतु अपनी स्थूलता और निरुद्यमता के लिये प्रसिद्ध है ।

२. एक दानव (को॰) ।