प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अचरज ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ आश्चर्य, प्रा॰ अच्चरिअ] आश्चर्य । अचंभा । विस्मय । उ॰—अचरज कहा पार्थ जो बेधै तीनि लोक इक बान । —सूर॰, १ ।२६८ ।

अचरज ^२ वि॰ आश्चर्ययुक्त अनोखा । क्रि॰ प्र॰— करना । उ॰ —बहुरि कहहु करुनायतन कोन्ह जो अचरज राम । —मानस १ ।११० । —मानना । —में आना- में पड़ना । —होना । उ॰—वह अगाध यह क्यौं कहै भारी अचरज होय । —कबीर (शब्द॰) ।