अङ्गार
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अंगार ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ अङ्गार]
१. दहकता हुआ कोयला । आग का जलता हुआ टुकड़ा । बिना धुएँ की आग । निर्धुम अग्नि । उ॰— धवनि धवंती रहिं गई बुझि गए अंगार ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ ५७ ।
२. स्फुलिंग । चिनगारी । उ॰—अति अगिनि झार भंभार धुंधार करि उचटि अंगार झंझार छायौ ।—सुर॰, १० ।५९६ । मुहा॰—अंगार उगलना = कड़ी कड़ी बातें मुँह से निकालना । ऐसी बात बोलना जिससे सुननेवाले कतो अत्यंत क्रोध उत्पन्न हो । अंगार बनना = (१) खा पीकर लाल होना । मोटा ताजा होना । (२) क्रोध में भरना । अंगार बरसना = (१) अत्यंत अधिक गर्मी पड़ना । (२) दैवी आपत्ति आना ।
३. कोयला (को॰) ।
४. मंगल । उ॰—चर आए ढिल्लिय नगर, दसमि सुदिन अंगार । —पृ॰ रा, ६६ ।१६
१८. ।
५. लाल रंग (को॰) ।
६. हितावली नाम का पौधा (को॰) ।
अंगार ^२ वि॰ लाल रंगवाला [को॰] ।