अगन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अगन ^१पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अग्नि]
१. दे॰ 'अग्नि' । उ॰—इम लगन ऊपर आविया मझ अगन लागो मेह ।—रघु॰ रू॰, पृ॰३७ ।
२. अगिन नाम की एक चिड़िया । उ॰—अगन से मेरे पुलकिन प्राण, सहस्त्रों सरस स्वरों में कूक तुम्हारा करते हैं आह्वान ।—पल्लव, पृ॰१९ ।
अगन ^२पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ अगण] दे॰ 'अगण' । उ॰—मन यम शभ चारि हैं र स ज त अगनौ चारि ।—भिखारी॰ ग्रं॰, भा॰
१. पृ॰ १७० ।
अगन ^३पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ अङ्गण] दे॰ 'आँगन' ।
अगन पु वि॰ [सं॰ अगण्य; प्र॰ अगन्न] असंख्य । बेशुमार । उ॰—(क) साँब कौं लक्षमना सहित ल्याए बहुरि दियौ दाइज अगन गनि न जाई ।— सूर॰, १० ।४२०९ । (ख) सासि अखंड मंडल जु गगन मैं । राजत भयौ नक्षत्र अगन मै ।— नंद॰ ग्रं, पृ॰२९२ ।