अकूल वि॰ [सं॰ अ+कुल] १. जिसका किनारा या ओर छोर न हो । उ॰—आकुल अकूल बनने आती, अब तक तो है वह आती ।—लहर, पृ॰ १३ । २. अनंत । असीम । उ॰—साथी मै हो गया अकूल का, भूल गया निज सीमा ।—अनामिका, पृ॰ ६९ ।