प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अकस ^१ संज्ञा पुं॰ [अ॰ अक्स]

१. बैर । अदावत । विरोध । शत्रुता । उ॰—काम कोह लाई कै देखाइयत आँखि मोहि, एते मान अकस कीबे को आपु आहि को ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ २२२ ।

२. लाँगडाँट । होड़ । स्पर्धा । उ॰—हानि लाहु अनखु उछाहु बाहुबल कहि बंदी बोले बिरद अकस उपजाइकै ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ३१२ ।

३. ईर्ष्या । डाह । उ॰—मोर मुकट की चंद्रि- कनु यौं राजत नँद नंद । मनु ससि सेखर की अकस किय सेखर सतचंद ।—बिहारी र॰, दो॰ ४१९ ।

अकस ^२ पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ आकाश] नभ । आकाश । उ॰—सकसे का जैतवार अकसे का वाई ।—रा॰ रू॰, पृ॰ ९७ । क्रि॰ प्र॰—ठानना ।—दिलाना ।—पड़ना ।—मानना—रखना । यौ॰—अकसदीया । अकसदियता ।