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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अकर्मक ^१ वि॰ [सं॰] [वि॰ स्त्री॰ अकर्मिका] व्याकरण में क्रिया के दो मुख्य भेदों में से एक । यह उस क्रिया को कहते हैं जिसे किसी कर्म की आवश्यकता न हो, कर्ता तक ही क्रिया का कार्य समाप्त हो जाय; जैसे—'लड़का दौड़ता है,' इस वाक्य में 'दौड़ता है' अकर्मक क्रिया है ।

अकर्मक ^२ संज्ञा पुं॰ परमात्मा [को॰] ।