अकरखन
हिन्दी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अकरखन पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ आकर्षण] दे॰ 'आकर्षण' । उ॰— कियो अकरखन मंत्र सो वंशी धुनि बृजराज । उठि उठि दौरीं बाल सब तजै लाज गृहकाज ।—भिखारी॰ ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ७९ ।
अकरखन पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ आकर्षण] दे॰ 'आकर्षण' । उ॰— कियो अकरखन मंत्र सो वंशी धुनि बृजराज । उठि उठि दौरीं बाल सब तजै लाज गृहकाज ।—भिखारी॰ ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ७९ ।