प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अंचर पु संज्ञा पुं॰ दे॰ 'अंचल' । उ॰—कौन निरासी दीठि लगाई लै लै अंचर झारै ।—पोद्दार अभि॰ ग्रं॰, पृ॰ ९३४ ।

२. दुपट्टा । उपरना । उ॰—राजन अंचर छोरु करि जैत प्रसंसन काज । दिल्ली धर अग्गर इहै जुझझ पर्यौ धर आज ।—पृ॰ रा॰, ६६ ।१२४७ ।