अंगी
विशेषण
- शरीरी
- देहधारी
- शरीरवाला
- अवयवी
- उपकार्य
- अंशी
- समष्टि
- प्रधान
- मुख्य
विशेषण स्त्रीलिंग
- अंगवाली (केवल समास में प्रयुक्त, जैसे तन्वंगी, कोमलांगी आदि] ।
संज्ञा पुल्लिंग
- नाटक का प्रधान नायक
- नाटक या काव्य का प्रधान रस
संज्ञा स्त्रीलिंग
- चौदह विद्याएँ । (डिंगल)
- कुरती
- अँगिका
- चोली
- कंचुकी
- छोटा कपड़ा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अंगी ^१ वि॰ [सं॰ अङ्गी]
१. शरीरी । देहधारी । शरीरवाला ।
२. अवयवी । उपकार्य । अंशी । समष्टि ।
३. प्रधान । मुख्य ।
अंगी ^२ वि॰ स्त्री॰ अंगवाली (केवल समास में प्रयुक्त, जैसे तन्वंगी, कोमलांगी आदि] ।
अंगी ^३ संज्ञा पुं॰
१. नाटक का प्रधान नायक, जैसे सत्यहरिशचंद्र में हरिशंद्र ।
२. प्रधान रस । नाटकों में श्रृगार और वीर ये दो रस अंगी (प्रधान) कहलाते है और शेष रस अंग (अप्रधान) ।
अंगी ^४ संज्ञा स्त्री॰ [डिं॰] चौदह विद्याएँ ।
अंगी पु ^५ संज्ञा स्त्री॰ दे॰ 'अंगिया' ।