संज्ञा (स्त्रीलिंग)

  1. स्त्रियों की पोशाक
  2. कुरती
  3. अँगिका
  4. चोली
  5. कंचुकी
  6. छोटा कपड़ा
  7. सर्प की केंचुल

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अंगिया पु संज्ञा स्त्री॰ दे॰ 'अंगिका'—१ ।

अंगिया ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अङ्गिका; प्रा॰ अंगिआ] स्त्रियों का एक पहिनावा जिससे केवल स्तन ढँके रहते है, पेट और पीठ खुली रहती है । इसमें चार बंद होते हैं जो पीछे बाँधे जाते हैं । छोटा कपड़ा । चोली । कंचुकी । काँचली । उ॰—अँगिया नील, माँड़नी राती, निरखत नैन चुराई ।—सूर॰, १० । १०५३ । यौ॰—अँगिया का कंठा या अँगिया की कठी=दे॰ 'अँगिया का घाट' । अँगिया की कटोरी या मुलकट=अँगिया का वह भाग जो स्तानों के ऊपर पड़ता है । अँगिया की खवासी या खसी= वह सीवन जो कटोरियों को आस्तीन से मिलाती है । अँगिया का घाट=अँगिया का गला या गरेबान, गले के नीचे का खुला हिस्सा । अँगिया की चिड़िया=दोंनों कटोरियों के बीच की सीवन । अँगिया का ठर्रा=वह बटा हुआ धागा जो अँगिया के नीचे की गोट मे लगाया जाता है । अँगिया की डोरी= कंठे और पुट्ठे में शोभा के लिये टाँकी जानेवाली डोरी । अँगिया की दीवार=दे॰ 'अँगिया का पान' । अँगिया का पछुआ=अँगिया की पीठ की ओर के टुकड़े । अँगिया का पान=अँगिया की कटोरी का छोटा टुकड़ा । अँगिया का पुट्ठा=अँगिया की आस्तीन की चौड़ी गोट । अँगिया के बंद=पीठ की ओर का ठर्रा जिससे अँगिया कसी जाती है । अँगिया का बँगला=कटोरी की कली या फाँक जो जोड़ों पर गोखरू टाँकने से बन जाता है । दो कलियाँ होने पर बँगला और दस बारह होने पर खरबूजा करहते है । अँगिया के बाजू=अँगिया का वह भाग जो दोनों बगल छिपाता है । अँगिया की लहर=कटोरियों पर तिकोनी कटी हुई सज्जा ।