अंगराग
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अंगराग सं॰ पुं॰ [सं॰ अङ्गराग]
१. चंदन, केसल, कपुर, कस्तुरी आदि सुगंधित द्रव्यों का मिला हुआ लेप जो अंग में लगाया जाता है । उबटन । बटना ।
२. वस्र् और आभुषण ।
३. शरीर की शोभा के लिये महावर आदि रँगने की सामग्री ।
४. स्त्रियों के शरीर के पाँच अंगों की सजावट—माँग में सिंदुर, माथे थे रोली, गाल पर तिल की रचना, केसर का लेप, और हाथ पैर में मेहँदी वा महावर ।
५. एक प्रकार की सुगंधित देसी बुकनी जिसे मुँह पर लगाते है । चीसठ कलाओं में से एक ।—वर्ण॰ ।