अंगन्यास संज्ञा पुं॰ [सं॰ अङ्गन्यास] तंत्रशास्त्र के अनुसार मंत्रों को पढ़ते हुए एक एक अंग छुना । संध्या, जप पाठ आदि के पुर्व की जानेवाली एक विधि ।