प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अँगूठा संज्ञा पुं॰ [सं॰ अङ्गुष्ठ; प्रा॰ अंगुठ्ट]

१. मनुष्य के हाथ की सबसे छोटी और मोटी उँगली । पहली उँगली जिससे दूसरा स्थान तर्जनी का है । तर्जनी की बगल में छोर पर की वह उँगली जिसका जोड़ हथेली में दूसरी उँगलियों के जोड़ों के नीचे होता है । उ॰—हथफूल पीठ पर करके धर, उँगलियाँ मुंदरियों से सब भर, आरसी अँगूठे में देकर—ग्राम्या, पृ॰ ४० । विशेष—मनुष्य के हाथ में दूसरे जीवों के हाथो से इस अँगूठे की बनावट में बड़ी भारी विशेषता है । यह बड़ी सुगमता से इधर उधर फिरता है और शेष चार उँगलियों में से प्रत्येक पर सटीक बैठ जाता है । इस प्रकार यह पकड़ने में चारों उँगलियों को एक साथ भी और अलग अलग भी सहायता देता है । बिना इसकी शक्ति और सहायता के उँगलियाँ कोई वस्तु अच्छी तरह नहीं पकड़ सकतीं । मुहा—अँगूठा चूमना=

१. आदर करना । विनय प्रकट करना ।

२. अधीन होना ।

३. खुशामद करना । सुश्रूषा करना । अँगूठा चूसना=बड़ा होकर बच्चों की सी नासमझी करना । अँगूठा दिखाना=

१. किसी वस्तु को देने से अवज्ञापूर्बक नहिं करना ।

२. किसी कार्य को करने से हट जाना । किसी कार्य को करने से अस्वीकार करना ।

३. अवज्ञा करना ।

४. चिढ़ाना । उ॰— ऐसी उपाय गई निमुकाय, चितै मुसुकाय दिखाय अँगूठो ।—सुधानिधि, पृ॰ । अँगूठा नचाना=चिढ़ाना । अँगूठे पर मारना=तुच्छ समझना । परवाह न करना ।

२. मनुष्य के पैर की सबसे मोटी उँगली ।