अँगराग पु संज्ञा पुं॰ दे॰ 'अंगराग'—१ । उ॰— नृप द्वार कुमारि चलीं पुर की, अँगराग सुगंध उडै गहरी ।—बुद्ध व॰, पृ॰ २४ ।