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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अँकुड़ा संज्ञा पुं॰ [सं॰ अङ्कुर]

१. लोहे झुका हुआ टेढ़ा काँटा ।

२. लोङे का भुवा हुआ टेढ़ा छड़ जिससे चुड़िहार लोग भट्ठी से गला हुआ काँच निकालते हैं ।

३. टेढ़ी झुकी हुई कील वा कँटिया जिसमें तागे अँटकाकर पटवा वा पटहार काम करते है ।

४. लोहे का एक टेढ़ा । काँटा जो लकड़ी आदि तौलनेवाली बड़ी तराजू की ड़ाँड़ी के बीचोबीच लगा रहता है ।

५. कुलाबा । पायजा ।

६. लोहे का एक गोल पच्चड़ जो किवाड़ की चूल में ठोंका रहता है ।

७. लोहे का एक छड़ जिसका एक सिरा चिपटा होता है और दूसरा टेढ़ा औप झुका हुआ । चिपटे सिरे को काँटे से किवाड़ के पल्ले में जड़ देते है ओर झुके हिस्से को साह के कोढ़ों में ड़ाल देते है । इसी पर पल्ला घूमता है अर्थात् खुलता और बंद होता है ।

८. रेशमी कपड़ा बुननेवालों का मछली के आकार का काठका एक औजार जिसके सिरे पर एक छेद होता है । इस छेद में एक खूंटी गड़ी । रहती है जिसमें दलथंभन से बँधी हुई रस्सी लपेटी रहती है ।

९. गाय बैल के पेट का दर्द या मरोड़ जिसे एँचा भी कहते हैँ ।

१०. खूँटी । नागदंत ।— (कौ॰) ।