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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

संग्रहणी संज्ञा स्त्री॰ [सं सङ्ग्रहणी]

१. एक प्रकार का रोग जिसमें भोजन किया हुआ पदार्थ पचता नहीं, बराबर पाखाने के रास्ते निकल जाता है । ग्रहणी । विशेष—इसमें पेट में पीड़ा होती है और दस्त दुर्गधयुक्त, कभी पतला कभी गाढ़ा होता है । शरीर दुर्बल और निस्तेज हो जाता है । यह रोग चार प्रकार का होता है —वातज, कफज, पित्तज और सन्निपातज । रात की अपेक्षा दिन के समय यह रोग अधिक कष्ट देता है । यह रोग प्राय: अधिक दिनों तक रहता और कठिनता से अच्छा होता है ।