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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

फबती संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ फबना]

१. वह बात जो समय के अनुकूल हो । देशकालानुसार सूक्ति ।

२. हँसी की बात जो किसी पर घटती हो । व्यंग्य । चुटकी । मुहा॰—फबती उड़ाना = हँसी उड़ाना । फबती कसना = फबती कहना या उड़ाना । उ॰—जमीदार पर फबती कसता, बाम्हन ठाकुर पर है हँसता ।—ग्राम्या, पृ॰ ४५ । फबती कहना = चुभती हुई पर हँसी की बात कहना । हँसी उड़ाते हुए चुटकी लेना । हास्यपूर्ण व्यंग्य कराना । फबितियाँ होना = चुभती या लगती बातें होना । उ॰—हजरत की किता शरीफ देखकर हँस पड़े, फबतियाँ होने लगीं ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ २५ ।