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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

फणिक संज्ञा पुं॰ [सं॰ फणि+ हिं॰ क (प्रत्य॰)] साँप । नाग । उ॰—सखी री नंदनंदन देखु । धूरि धूसरि जटा जुटली हरि किए हर भेखु । नीलापाट पिरोइ मणि गर फणिक धोखे जाय । खुन खुना कर हँसत मोहन नचत डौरु बजाय ।— सूर (शब्द॰) ।