दागना
क्रिया
- जलाना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
दागना ^१ क्रि॰ स॰ [सं॰ दग्ध, हिं॰ दाग + ना (प्रत्य॰)]
१. जलाना । दग्ध करना । उ॰—(क) लोग वियोग विषम विष दागे ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) करि कंद को मंद दुचंद भई फिर दाखन के उर दागति हैं ।—पद्माकर (शब्द॰) ।
२. तपे लोहे को छुलाकर किसी के अंग को ऐसा जलाना कि चिह्न पड़ जाय । जैसे, साँड़ दागना, घोड़ा दागना । संयो॰ क्रि॰—देना ।
३. किसी धातु के तपे हुए साँचे के छुलाकर अंग पर उसका चिह्व डालना । तप्तमुद्रा से अंकित करना । जैसे, शंख चक्र दागना ।
४. किसी फोड़े आदि पर ऐसी तेज दवा लगाना जिससे वह जल या सूख जाय । जैसे, कास्टिक या तेजाब से फुंसी दागना । संयो॰ क्रि॰—देना ।
५. भरी हुई बंदूक में बत्ती देना । रंजक में आग लगाना । तोप, बंदूक आदि छोड़ना । जैसे, तोप दागना, बंदूक दागना ।
दागना ^२ क्रि॰ स॰ [फा़॰ दारा] रंग आदि से चिह्न डालना । दाग लगाना । अंकित करना । उ॰—कबहुंक बैठि अंश भुज धरि कै पीक कपोलनि दागे ।—सूर (शब्द॰) ।