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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

थान संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्थान]

१. जगह । ठौर । ठिकाना ।

२. रहने या ठहरने की जगह । ड़ेरा । निवासस्थान ।

३. किसी देवी देवता का स्थान । देवल । जैसे, माई का थान । उ॰— इह गोपेसुर थान अपूरब । नित प्रति निसा ऊतरै सौरभ ।—पृ॰ रा॰, १ । ३९८ ।

४. वह स्थान जहाँ घोड़े या चौपाए बाँधे जायँ । मुहा॰— थान का टर्रा = (१) वह घोड़ा जो खूँटे से बँधा बँधा नटखटी करे । धुड़साल में उपद्रव करनेवाला । (२) वह जो धर पर ही या पड़ोस में ही अपना जोर दिखाया करे, बाहर कुछ न बोले । अपनी गली में ही शेर बननेवाला । थान का सच्चा = सीधा घोड़ा । वह घोड़ा जो कहीं से छूटकर फिर अपने खूँटे पर आ जाय । थान में आना = (घोड़े का) धूल में लोटना । इच्छे थान का घोड़ा = अच्छी जाति का घोड़ा । प्रसिद्ध । स्थान का घोड़ा ।

५. वह घास जो घोड़े के नीचे बिछाई जाती है ।

६. कपडे़ गोटे आदि का पूरा टुकड़ा जिसकी लंबाई बँधी हुई होती है । जैसे, मारकीन का थान, गोटे का थान ।

७. संख्या । अदद । जैसे, एक थान अशरफी, चार थान गहने, एक थान कलेजी ।

८. लिंगेंद्रिय (बाजारू) ।