थाकना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन
शब्दसागर सम्पादन
थाकना † क्रि॰ अ॰ [सं॰ स्था, बंग॰ थाका]
१. शक्ति न रहना । थक जाना । शिथिल होना । रुकना । उ॰— थाकी गति अंगन की, मति परि मंद सूखि झाँझरी सी ह्वैके देह लागी पियरान ।—हरिश्वंद्र ।—(शब्द॰) ।
२. रुकना । ठहरना । उ॰— जग जलबूड़ तहाँ लगि ताकी । मोरि नाव खेवक बिनु थाकी ।— जायसी (शब्द॰) ।
३. स्तंभित होना । ठगा सा होना । आश्चर्यचकित होना । उ॰— रतन अनोलक परख कर रहा जौहरी थाक ।—दरिया॰ बानी, पृ॰ १८ ।