ढुरावना पु क्रि॰ सं॰ [हि॰ ढुराना] दे॰ 'ढुरना—१' । उ॰— पलक न लावति, रहत ध्यान धरि, बारंबार ढुरावति पानी ।— सूर (शब्द॰) ।