हिन्दी सम्पादन

प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

ढँढोर संज्ञा पुं॰ [अनु॰ धायँ धायँ]

१. आग की लपट । ज्वाला । लौ । उ॰— (क) रहै प्रेम मन उरझा लटा । बिरह ढँढोर परहिं सिर जटा ।— जायसी (शब्द॰) ।(ख) कंथा जरे अगिनि़ जनु लाए । बिरह ढँढोर जरत न जराए ।— जायसी (शब्द॰) ।

२. काले मुँह का वंदर । लंगूर ।