प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादन
जील संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰ जीर]
१. धीमा शब्द । मध्यम स्वर । नीचा सुर ।
२. तबले या ढोल का बायाँ । उ॰—जात कहूँ ते कहूँ को चल्यो सुर टीप न लागत तान धरे की । आखर सो समुझे न परे मिलि ग्राम रहे जति जील परे की ।— रघुनाथ (शब्द॰) ।