चावल

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संज्ञा

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

चावल संज्ञा पुं॰ [ तणडुल अथवा मुंडारी]

१. अक प्रसिद्ध अन्न । धान के बीज के गुठली । तंडुल । मुहा॰—चावल चबवाना = जिन जिन पर किसी वस्तु के चुराने का संदेह हो उन्हें चारयारी रुपया भर चावल यह कहकर चबवाना कि जो चोर होगा उसके मुँह से थूकने पर खून निकलेगा । यह वास्तव में एक प्रकार की धमकी है जिससे डरकर कभी कभी चोर चिजें फेंक देते हैं ।

२. राँधा चावल । भात ।

३. छोटे छोटे बीज के दाने जो किसी प्रकार खाने के काम में आवें । जैसे, लटजीरा के चावल, जवाइन के चावल, इत्यादि ।

४. एक रत्ती का आठवाँ भाग या उसके बराबर का तौल । मुहा॰—चावल भर = रत्ती के आठवें भाग के बराबर ।

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