प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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खिन ^१पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ खण] क्षण । लमहा । उ॰—एकै खिन खिन साँझ पावैं पद साहिबी को एक खिन खिन माह होत लटपट हैं । —ठाकुर॰, पृ॰... । मुहा॰ —खिनखिन = प्रतिक्षण । हरदम ।

खिन ^२ वि॰ [सं॰ क्षीण, प्रा॰ क्षीण] क्षीण । खिन्न । दुर्बल । उ॰— उष्णकाल अरु देह खिन, मगपंथी, तन ऊख । चातक बतिया ना रुचीं अन जल सीचें रूख । —तुलसी ग्रं॰, पृ॰ १०८ ।